Burayi se bachne ka upaye
Burayi se bachne ka upaye बुराई से बचने का उपाय प्रायः देखते है कि मकान के दरवाजो और खिड़कियों को कितना भी बंद करे लेकिन इसके बाद कमरे में भी अनेक छिद्रों से धूल प्रवेश कर जाती है। कपड़ो को कितना भी संभाल कर रखा जाये उसके बाद भी कपड़ो में धूल भर जाती है। पुनः उस धूल को निकालने में बहुत ही परिश्रम व मेहनत करनी पड़ती है। उसी प्रकार मन एवम इन्द्रियों पर आत्मा का सयंम न होने के कारन मन में दोष सहज ही आते जाते है लेकिन उन्हें दूर करने के लिए प्रयत्न करना पड़ता है। महर्षि पंतजलि ने अपने योग दर्शन ग्रन्थ में बुराइयो से बचने का एक सूत्र के द्वारा उपाय बताया है। वे सूत्र में कहते है " वितर्क बॉधने प्रतिपक्ष भावनम " अर्ताथ जब कोई बुराई व्यक्ति के मन में आये तो उस बुराई के प्रति नकारात्मक रूप अपनाकर उसके होने वाले दुष्परिणामो पर चिंतन करे तो वह बुराई से छूट जायेगा। मान लीजिये किसी के मन में चोरी करने का भाव आये तो उसे सोचना चाहिए की यदि मैंने चोरी की तो मैं पकड़ा जाऊँगा , और रोज अदालत में चक्कर काटने पड़ेंगे...





