AHNKAAR SE BHACHE

                    अहंकार से बचें 


फरीद नाम का एक व्यपारी था।  वह बहुत धार्मिक स्वभाव का  था। फरीद प्रतिदिन पांचो समय की नमाज पढता था  और अपना व्यापार बड़ी  ईमानदारी से  चलाता था। वह किसी को कभी कोई तकलीफ नही देता था। वह सदैव दुसरो के काम आने की कोशिश करता था। नजीर उसका एकमात्र पुत्र था। 



        “अहंककार में तीनो गए ~ धन, वैभव और वंश। 
                       यकीन नही है तो देख लो ~ रावण, कौरव और कंश।

फरीद उसे भी अपनी तरह ईमानदार और धार्मिक स्वभाव का बनाना चाहता था। इसलिए उसने अपने पुत्र को प्रतिदिन कुरान फढ़ने की सलाह दी। नजीर ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया। वह प्रतिदिन सुबह कुरान का पाठ करने लगा यह देखकर फरीद बहुत प्रसन्न हुआ। 
कुछ दिन बीते।  एक दिन नजीर ने  पिता से  कहा,"पिताजी ! मैं  सुबह उठकर पवित्र कुरान पढता हूँ और माँ के उठने से पहले ही पाठ खत्म भी  कर देता हूँ। 
फरीद ने अपने बेटे की बात सुन ली, किन्तु चुप रहा। 
कुछ दिन बाद नजीर फिर अपने पिता से बोला, "पिताजी !देखो, मैं तो सवेरे उठकर कुरान का पाठ भी निपटा लेता हूँ और ,माँ सोती रहती हैं। . वह पवित्र कुरान का पाठ करना तो दूर, उसे सुनती तक नही फरीद अपने बेटे की बात सुनकर हैरान रह गया। उसने बड़े शांत स्वभाव से अपने बेटे से कहा, "बेटा! अब तुम कल से कुरान पढ़ना बंद कर दो" नजीर को अपने पिता से ऐसे जवाब की आशा नही थी। पिता से वह आगे  कुछ कह पता इसका उसे साहस नही हुआ, लेकिन फरीद ने अपने आप  उससे कहा, मैंने कुरान पढ़ने को तुमसे इसलिए कहा था की तुम गुणवान बनजाओ,किन्तु मैं देख रहा हूँ की तुम्हे तो अभिमान होने लगा हैं। अभिमानी व्यक्ति दुसरो में दोष देखता है और अपने को बड़ा मानने लगता है।  उसे छोटे-बड़े का भी ख्याल नही रहता।  यह अभिमान मनुष्य को उन्नति के रास्ते पर नही, बल्कि पतन की और ले जाता हैं। तब जाकर नजीर को आत्मग्लानि हुईं और उसने अपने पिता से माफ़ी मांगी, दोबारा ऐसा नही कहेगा ये वादा  भी किया। 
और बहुत सी story है जो अहंकार  की  अंतिम स्थिति को बयां करती है अहंकार उस व्यक्ति को  होता है जिसका मन उसके वश में नही होता है। अहंकार ही सब दुखों का कारण है। 

             ऊपर उठना है तो, अपने अंदर के अहंकार को निकालकर, स्वमं  को हल्का कीजिये क्योकि
ऊपर वो ही उठता है जो हल्का होता हैं। 

धन्यवाद।


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