maa ke aashirwaad ki shakti
माँ के आशीर्वाद की शक्ति
Maa ke aashirwaad ki shakti
माँ के आशीर्वाद की शक्ति
इतिहास के पन्ने गवाह हैं कि महानता के उच्च शिखर पर पहुँचे व्यक्तियों के ह्रदय में माँ के प्रति अनन्य सदभाव रहा हैं जिसके कारण वो सफलता की ऊँचाई पर पहुँचें हैं। माँ के प्रति यह सदभाव न केवल उनके जीवन के शुरूआती काल में बना रहा बल्कि अंतिम समय तक प्रेरणा बना रहा।
इसी तरह के कुछ सच्चे उदाहरण मैं आपको बताने जा रहा हूँ जिसमे उन महान आत्माओं ने अपनी माता के द्वारा कही गयी साधारण सी लाइनों को ही अपने जीवन के मंत्र मान लिया था
महात्मा गाँधी जी जब विलायत में पढ़ने के लिए जा रहे थे,तो उनकी माँ ने उनसे सदाचार और सत्य का आचरण करने की प्रतिज्ञा ली थी। जिसका निर्वाह वे जीवन भर करते रहे। माँ के प्रति अटूट भक्ति ही उनका पथ प्रदर्शन करती रही। ग़ांधी जी कहा करते थे की सदाचार एवं सत्यनिष्ठा का जो पाठ हमारी माँ ने पढ़ाया था, वह मेरे जीवन का मूल मंत्र बन गया।
“ शायर ने कहा - माँ एक ऐसी गजल हैं जो दिल में समाती है”
शिवाजी ने अपनी माँ के आँचल में बैठकर ही
साहस,पराक्रम,धैर्य,शौर्य,शासन और चरित्रनिष्ठा का पाठ पढ़ा था।
अपने शरीर से रक्त व माँस का हिस्सा काटकर शिशु के निर्माण करती है। 9 माह तक असीम दर्द सहकर गर्भ में पल रहे शिशु का पोषण करती हैं। वह कभी किसी भी प्रतिदान की अपेक्षा नहीं करती है। पुत्र चाहे नालायक निकल जाये पर वह अपने कर्त्यव्य का पालन एक सच्ची माँ की तरह ही करती है। उसका प्यार अपने बच्चे के लिए कभी काम नही होता है।
इसी तरह के कुछ और किस्से एक माँ के आशीर्वाद की शक्ति को बखूबी बयां करते है------
Maa ke aashirwaad ki shakti
माँ के आशीर्वाद की शक्ति
इतिहास के पन्ने गवाह हैं कि महानता के उच्च शिखर पर पहुँचे व्यक्तियों के ह्रदय में माँ के प्रति अनन्य सदभाव रहा हैं जिसके कारण वो सफलता की ऊँचाई पर पहुँचें हैं। माँ के प्रति यह सदभाव न केवल उनके जीवन के शुरूआती काल में बना रहा बल्कि अंतिम समय तक प्रेरणा बना रहा।
इसी तरह के कुछ सच्चे उदाहरण मैं आपको बताने जा रहा हूँ जिसमे उन महान आत्माओं ने अपनी माता के द्वारा कही गयी साधारण सी लाइनों को ही अपने जीवन के मंत्र मान लिया था
“आसमान ने कहा ----- माँ एक ऐसा इंद्र धनुष है जिसमे सभी रंग समाये हैं”
महात्मा गाँधी जी जब विलायत में पढ़ने के लिए जा रहे थे,तो उनकी माँ ने उनसे सदाचार और सत्य का आचरण करने की प्रतिज्ञा ली थी। जिसका निर्वाह वे जीवन भर करते रहे। माँ के प्रति अटूट भक्ति ही उनका पथ प्रदर्शन करती रही। ग़ांधी जी कहा करते थे की सदाचार एवं सत्यनिष्ठा का जो पाठ हमारी माँ ने पढ़ाया था, वह मेरे जीवन का मूल मंत्र बन गया।
“ शायर ने कहा - माँ एक ऐसी गजल हैं जो दिल में समाती है”
शिवाजी ने अपनी माँ के आँचल में बैठकर ही
साहस,पराक्रम,धैर्य,शौर्य,शासन और चरित्रनिष्ठा का पाठ पढ़ा था।
महाराणा प्रताप लेकर स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी भगत सिंह,चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु , सुखदेव, रामप्रसाद बिस्मिल, स्वतंत्रवीर सावरकर आदि सभी ने अपनी मातृ भूमि के प्रति त्याग व बलिदान पाठ माँ की गोद में बैठकर ही सिखा था। विनोबा भावे को मानव से महामानव की श्रेणी में पहुचाने में उनकी माता जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
“ माली ने कहा - माँ एक ऐसा फूल है जो पुरे गुलशन को महकाता है ”
नीति शास्त्र में में भी एक प्रश्न किया गया है की - पृथ्वी से बड़ा कौन हैं ? इसका उत्तर देते हुए ऋषि कहते है की - "माता पृथ्वी से इसलिए बड़ी है क्योकिं माता के उपकार पृथ्वी से बड़े है "
पृथ्वी माता को इतना श्रेय यों ही नही दिया जाता है मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए क्या- करता। पृथ्वी सीने को चीरता है, उसे जर्जर बनाता है, गंदगी फैलाता है, पर यह पृथ्वी का मातृ ह्रदय है जो सब कुछ सहन करती है और उलटे अपने उपकारों की सदा वर्षा करती रहती है उसकी इस उदारता के कारण ही माँ का पद प्रदान किया गया है। पशुओं में गाय को भी माँ का पद दिया गया है।
“मौहम्मद साहब ने कहा - माँ वह हस्ती है, जिसके कदमो में जन्नत हैं ”
इसी तरह के कुछ और किस्से एक माँ के आशीर्वाद की शक्ति को बखूबी बयां करते है------
- अब्राहम लिंकन जब अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो अपनी सफलता के विषय में कहा की - " मै जो कुछ भी बन पाया हु या आगे जो कुछ भी बनने की आशा करता हूँ उसका सारा श्रेय मेरी माता जी को ही जाता हैं "
- एक बार चाणक्य जब अपनी माँ के कुछ कहने पर खिल -खिलाकर हँसा तो उनकी माँ चिंतित हो गयी। चाणक्य ने अपनी माँ से उसकी चिंता का कारन पूछा तो माँ ने कहा की बेटे जो तेरे मुँह में आगे के दो दांत है उनमे राजा बनने के लक्षण दिखयी देते है जब तू राजा बन जायेगा तो मेरा ध्यान कौन रखेगा। यह बात सुनकर चाणक्य बाहर गया और पत्थर से अपने दोनों दांत तोड़कर हथेली पर रखकर माँ को दिखाया और बोला माँ लो मैंने तुम्हारी चिंता का निवारण कर दिया है। माँ ने चाणक्य को अपने सीने से लगाकर आशीर्वाद दिया की तुम मेरे ही नहीं बल्कि भारत माँ के महँ सपूत बनोगे और माँ का आशीर्वाद फलीभूत हुआ। आज भी पुरे देश में चाणक्य का नाम बड़े ही फख्र व गर्व के साथ लिया जाता है।
“ माँ एक ऐसा सीप है जो औलादों के हजारों ऐब छुपा लेती हैं ”
जो भी पाठक इस पोस्ट को पढ़ रहे है मैं उनसे आह्वान करता हु की आप अपने माता-पिता के प्रति आदर व श्रद्धा का भाव रखते हुए प्रतिदिन उनके चरण छूकर उनका अभिवादन करे और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करे। उनके आशीर्वाद की शक्ति ही आपके जीवन को सफल बनाएगी।
जय हिन्द !!!!!
जय हिन्द !!!!!


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